Skip to main content

रहस्यमयी लाल आँखें (Rahasymayi Laal Aankhen - Mysterious Red Eyes) Chapter- 4

रहस्यमयी लाल आँखें - हॉरर फिक्शन हिंदी कहानी | Mystery Horror Story

रहस्यमयी लाल आँखें (Rahasymayi Laal Aankhen - Mysterious Red Eyes)

हॉरर और रहस्य से भरी हिंदी कहानी

हवेली का कमरा

हवेली का कमरा अंधेरे से भर चुका था। केवल दो लाल आँखें थीं जो कोनों से झलकती हुई आरव पर गड़ी हुई थीं। तलवार उसके हाथों से छूटकर हवा में तैर रही थी। तभी आवाज़ गूंजी—

“तू सोचता है कि शक्ति तेरी है? मूर्ख! असली मालिक मैं हूँ।”

आरव चिल्लाया— “कौन है तू? सामने आ!”

धुएँ से बनी छवि सामने आई—आधा इंसान और आधा छाया। उसकी उपस्थिति ने पूरे कमरे को हिला डाला।

हवेली पर संकट

बाहर हवेली में हलचल थी। तेज़ हवाएँ दरवाज़ों को तोड़ रही थीं। सैनिक और नौकर खौफजदा खड़े थे। रुद्रप्रताप सिंह गरजे—

“ये कैसी ताक़त है जो हवेली में घुस आई है? पहरा दोगुना करो!”

जल्द ही सभी को अहसास हुआ—यह इंसानी नहीं, बल्कि अलौकिक ताक़त थी।

साधु की आवाज़

उसी वक्त साधु आया और बोला—

“लाल छाया जाग चुकी है। तेरे पूर्वजों का यह शाप है। यह तलवार खून से चलती है और उसका शत्रु भी खून से जन्म लेता है। अगर तू नियंत्रण खो देगा तो तुझी की आत्मा कैद हो जाएगी।”

आरव ने दृढ़ता से कहा— “तो इस बार मैं कैद नहीं रहूँगा!”

अनन्या की पुकार

अनन्या दौड़ी आई। उसकी आँखें डर से भरी थीं।

“आरव! इसे मत अपनाओ… तलवार तुम्हें निगल जाएगी। बदला तुम्हें मुझसे दूर कर देगा।”

आरव का दिल डगमगाया। उसकी पकड़ ढीली हुई। तभी छाया हँसी—

“यही कमजोरी तुझे मेरी कैद में ले आएगी।”

पहला सामना

छाया ने ऊर्जा का गोला बनाकर आरव पर फेंका। आरव ने तलवार पकड़ी और एक वार से लाल चमक फैल गई। हवेली की दीवारें हिल गईं। छाया पीछे धकेली गई लेकिन अगले ही पल फिर टूट पड़ी। अब ये जंग केवल शक्ति नहीं—आत्मा की भी थी।

क्लिफहैंगर – आत्मा का सौदा

तलवार हवा में गरजी—

“आरव! मुझे पूरी तरह अपना ले। तुझे अजेय बना दूँगी। लेकिन कीमत होगी तेरी आत्मा।”

अनन्या चीखी— “आरव! मत करो! ये तुम्हें मुझसे हमेशा के लिए छीन लेगी।” छाया बोली— “बदले के लिए जन्मा है तू! स्वीकार कर और दुनिया तुझे मान लेगी!”

हवेली ढह रही थी और आरव खड़ा था—अपने फैसले के सामने।

अगली कड़ी का टीज़र (Episode 5 Teaser)

  • क्या आरव अपनी आत्मा बचा पाएगा या तलवार का दास बन जाएगा?
  • रहस्यमयी छाया की असली पहचान उजागर होगी।
  • क्या अनन्या आरव को इस प्रलयकारी युद्ध से बचा पाएगी?

आगे आएगा और भी खून, रहस्य और बदले की नई परीक्षा।

© 2025 astrokahanikhabar. All rights reserved.

Comments

Popular posts from this blog

kanyakubj brahmin vanshavali : कान्यकुब्ज ब्राह्मण वंशावली

kanyakubj brahmin vanshavali : कान्यकुब्ज ब्राह्मण वंशावली नमस्कार मित्रों ,आज मुझे कान्यकुब्ज  ब्राह्मण की वंशावली प्राप्त हुई है अतः मैंने सोचा कि यह वंशावली आप सभी लोगों को उपलब्ध कराऊ  प्राचीन काल में कन्नौज को कान्यकुब्ज देश कहा जाता था  इसीलिए जो ब्राह्मण कान्यकुब्ज देश से संबंध रखते थे वह सभी ब्राह्मण कान्यकुब्ज ब्राह्मण कहलाए कान्यकुब्ज ब्राह्मण वेदों और शास्त्रों में बहुत निपुण होते थे  इसलिए ऐसा माना जाता है कि कान्यकुब्ज ब्राह्मण ब्राह्मणों में श्रेष्ठ ब्राह्मण होते हैं  गोत्र और इष्ट देव कात्यायन गोत्र वंशावली कश्यप गोत्र वंशावली शांडिल्य गोत्र वंशावली उपमन्यु गोत्र वंशावली सांकृत गोत्र वंशावली भरद्वाज गोत्र वंशावली गर्ग गोत्र वंशावली गौतम गोत्र वंशावली धनंजय गोत्र वंशावली भारद्वाज गोत्र वंशावली वत्स गोत्र वंशावली कश्यप गोत्र वंशावली कौशिक गोत्र वंशावली वशिष्ठ गोत्र वंशावली पाराशर गोत्र वंशावली कविस्त गोत्र वंशावली

करवा चौथ 2025: व्रत विधि, शुभ मुहूर्त, पूजन सामग्री और कथा | Karwa Chauth Vrat Vidhi

करवा चौथ 2025 व्रत विधि, कथा और शुभ मुहूर्त करवा चौथ 2025 व्रत विधि, कथा और शुभ मुहूर्त तिथि: गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025 करवा चौथ का महत्व (Karwa Chauth Vrat ka Mahatva) करवा चौथ भारतीय विवाहित स्त्रियों का एक पावन व्रत है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं और अपने पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करती हैं। यह व्रत केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि प्रेम, विश्वास और त्याग का भी प्रतीक है। करवा चौथ 2025 शुभ मुहूर्त विवरण समय / तिथि तिथि गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025 चतुर्थी तिथि प्रारंभ 9 अक्टूबर 2025, रात 10:54 PM चतुर्थी तिथि समाप्त 10 अक्टूबर 2025, शाम 10:38 PM पूजन का समय शाम 05:57 PM – 10:11 PM चंद्रोदय समय रात 08:47 PM ...

खून का बदला।khoon ka badla - Chepter 1

चाँदनी रात का सन्नाटा था। हवाओं में एक ठंडी कराह सी बह रही थी। नगर के सबसे बड़े हवेली के बाहर गाड़ियों की कतारें लगी थीं, क्योंकि भीतर उस अमीर जागीरदार रुद्रप्रताप सिंह का भव्य जलसा चल रहा था। चारों ओर चकाचौंध रौशनी और शाही सजावट थी। लेकिन उस चमक-धमक के बीच एक कोना ऐसा भी था जहाँ अंधेरा पसरा हुआ था।वहीँ पर, खिड़की की सलाखों से झाँकता बैठा था वह लड़का, आरव। आरव की पहली झलक आरव इस हवेली का इकलौता वारिस था। दौलत की कोई कमी नहीं थी। उसके पिता के पास अपार ज़मीन-जायदाद, कंपनियाँ और अनगिनत सोना-चाँदी था। लेकिन भीतर से आरव कभी इस दौलत पर घमंड नहीं करता।आरव की सबसे बड़ी समस्या यह थी कि उसका दिमाग़ साधारण बच्चों से थोड़ा कमज़ोर था। लोग कहते – “अरे, यह अमीरजादा है… मगर देखो तो जरा, दिमाग से कमज़ोर है। किसी काम का नहीं निकल पाएगा।”ये बातें उसके कानों में लगातार गूंजती रहतीं। कई बार विवाह समारोहों में, रिश्तेदार उसके पीछे हँसते थे। स्कूल में भी उसके साथी मज़ाक उड़ाते थे।मगर आरव के दिल में एक कोमल भाव हमेशा जीवित रहा—प्यार। प्यार की शुरुआत आरव को बचपन से ही अपनी बगिया में खेलना अच्छा लगता था। उसी बग...