करवा चौथ 2025 व्रत विधि, कथा और शुभ मुहूर्त
तिथि: गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025
करवा चौथ का महत्व (Karwa Chauth Vrat ka Mahatva)
करवा चौथ भारतीय विवाहित स्त्रियों का एक पावन व्रत है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं और अपने पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करती हैं। यह व्रत केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि प्रेम, विश्वास और त्याग का भी प्रतीक है।
करवा चौथ 2025 शुभ मुहूर्त
विवरण | समय / तिथि |
---|---|
तिथि | गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025 |
चतुर्थी तिथि प्रारंभ | 9 अक्टूबर 2025, रात 10:54 PM |
चतुर्थी तिथि समाप्त | 10 अक्टूबर 2025, शाम 10:38 PM |
पूजन का समय | शाम 05:57 PM – 10:11 PM |
चंद्रोदय समय | रात 08:47 PM |
करवा चौथ पूजन सामग्री (Karwa Chauth Puja Samagri)
- मिट्टी का करवा
- तांबे का कलश
- 10 पूरी और 10 बूंदी के लड्डू
- चंदन, चावल, फूल
- साड़ी और श्रृंगार का सामान
- सुपारी, इलायची, लौंग
- सात झाड़ू की सींक
- घी का दीपक
- छलनी और थाली
- नारियल व मिठाई
- मेहंदी
करवा चौथ व्रत विधि (Karwa Chauth Vrat Vidhi)
- सुबह सरगी: सूर्योदय से पहले सासु मां अपनी बहू को सरगी देती हैं।
- निर्जला उपवास: पूरे दिन बिना भोजन और जल ग्रहण किए व्रत रखें।
- संध्या पूजन: स्नान करके घर के पूजा स्थल को सजाएं।
- आटे/चावल से आकृति: दीवार पर सूर्य और चंद्रमा बनाएं।
- करवा-कलश की स्थापना: लकड़ी के पाटे पर करवा और कलश रखें।
- गणेश जी व चंद्रमा की पूजा: दीपक जलाकर पूजा सामग्री अर्पित करें।
- कथा श्रवण: करवा चौथ की कथा पढ़ें या सुनें।
- चंद्रोदय: छलनी से चंद्रमा और पति का दर्शन करें।
- अर्घ्य: चंद्रमा को अर्घ्य दें।
- उपवास पूर्ण: पति के हाथ से जल पीकर और भोजन कर व्रत समाप्त करें।
करवा चौथ की कथा (Karwa Chauth Ki Katha in Hindi)
बहुत समय पहले की बात है। एक साहूकार की सात बहुएं और एक बेटी थी। सभी ने करवा चौथ का व्रत रखा। भूखे-प्यासे रहने के कारण साहूकार की बेटी की हालत खराब होने लगी। उसके भाइयों ने बहन से छल करते हुए पास की जलती हुई अग्नि को चंद्रमा बताकर कहा – “चांद निकल आया है।” बहन ने उस अग्नि को चंद्रमा समझकर व्रत तोड़ दिया।
इसके फलस्वरूप उसका पति बीमार पड़ गया। पंडितों ने बताया कि व्रत गलत विधि से तोड़ा गया है। अगले वर्ष उसने श्रद्धा व विश्वास के साथ पुनः करवा चौथ का व्रत रखा। सही विधि से चंद्रमा को अर्घ्य दिया, जिससे उसका पति स्वस्थ हो गया। तभी से विवाहित स्त्रियां करवा चौथ का व्रत करती आ रही हैं।
करवा चौथ व्रत के नियम
- सरगी सूर्योदय से पहले खानी चाहिए।
- पूरा दिन व्रत निर्जला रखा जाता है, लेकिन स्वास्थ्य अनुसार जल पी सकते हैं।
- कथा पढ़ना और सुनना आवश्यक है।
- गणेश जी और चंद्रमा की पूजा ज़रूरी है।
- चंद्रमा को अर्घ्य दिए बिना व्रत अधूरा रहता है।
FAQs : करवा चौथ व्रत
Q1. करवा चौथ पर सरगी कब खाई जाती है?
सूर्योदय से पहले।
Q2. क्या केवल विवाहित महिलाएं ही करवा चौथ रखती हैं?
मुख्यतः हां, लेकिन अविवाहित कन्याएं भी अच्छे वर की प्राप्ति हेतु रख सकती हैं।
Q3. करवा चौथ में किनकी पूजा होती है?
गणेश जी, माता करवा, सूर्य और चंद्रमा।
Q4. क्या व्रत बिना जल पिए रखा जाता है?
परंपरा अनुसार हां, लेकिन स्वास्थ्य अनुसार जल ग्रहण कर सकते हैं।
Q5. करवा चौथ का मूल फल क्या है?
पति की दीर्घायु, घर-परिवार की समृद्धि और अखंड सौभाग्य।
Comments
https://rkknotes.blogspot.com/2021/10/karwa-chauth-vrat-2021.html
Thanks for post