Skip to main content

धनतेरस की कहानी और महत्व (Dhanteras Ki Kahani Aur Mahatva

  
धनतेरस की कहानी | Dhanteras Ki Kahani, Puja Vidhi, Mahatva & Festival Story  
 
धनतेरस 2025 की पौराणिक कहानी, महत्व, पूजा विधि, धन्वंतरि व राजा हेम की कथा, और इस दिन की परंपराओं के बारे में जानें।

 Introduction (परिचय)  

भारत एक उत्सवों की भूमि है, जहाँ हर त्योहार के साथ गहरी पौराणिक और सांस्कृतिक कहानियाँ जुड़ी होती हैं। दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाने वाला धनतेरस (Dhanteras) ऐसा ही एक महत्वपूर्ण पर्व है। इसे "धनत्रयोदशी" भी कहा जाता है क्योंकि यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है।  

धनतेरस के दिन धन, वैभव, सौभाग्य और आरोग्य की कामना की जाती है। इस दिन माँ लक्ष्मी, भगवान कुबेर और आरोग्य के देवता धन्वंतरि की पूजा का महत्व है। साथ ही, लोककथाओं में राजा हेम की कथा और उनकी पुत्रवधु का प्रसंग धनतेरस के महत्व को और बढ़ाता है।  

इस आर्टिकल में हम पढ़ेंगे —  

- धनतेरस की प्राचीन कहानी और पौराणिक प्रसंग 
- धन्वंतरि और समुन्द्र मंथन की उपकथा  
- राजा हेम और यमराज से जुड़ी कथा  
- धनतेरस पर पूजा विधि और परंपराएँ 

 FAQs और संक्षेप में इस पर्व की शिक्षा (Moral)  

धनतेरस का महत्व (Mahatva of Dhanteras)  

धनतेरस केवल लक्ष्मी पूजन का पर्व नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य, आयु और समृद्धि से जुड़ा पर्व है।  

- इस दिन धन्वंतरि जयंती भी मनाई जाती है।  
- व्यापारियों और गृहस्थ लोग इस दिन नया सोना-चाँदी, बर्तन या कीमती सामान खरीदते हैं।  
- मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई धातु घर में सुख-समृद्धि का वास कराती है।  
- दीपदान और यमराज के नाम का दीपक जलाना आयु वृद्धि और परिवार की रक्षा का प्रतीक माना जाता है।  

धनतेरस की पौराणिक कहानियाँ (Dhanteras Ki Kahani)

1. धन्वंतरि और समुद्र मंथन (Samudra Manthan Ki Kahani)  
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, धनतेरस का संबंध समुद्र मंथन से है। जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र का मंथन किया, तब चौदह रत्न प्रकट हुए। इन्हीं रत्नों में से एक थे धन्वंतरि देव, जो अमृत कलश और औषधियाँ लेकर समुद्र से प्रकट हुए।  
इसी कारण इस दिन को धन्वंतरि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।  

2. राजा हेम और दीपदान की कथा  
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, बहुत समय पहले राजा हेम नामक एक सम्राट था। ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की थी कि उसकी पुत्रवधु के विवाह के चौथे दिन उसके पति की मृत्यु साँप के काटने से हो जाएगी।  

जब चौथा दिन आया, तो उस कन्या ने एक उपाय सोचा। उसने घर के बाहर सोना-चाँदी के गहनों और चमकदार दीपों का ढेर लगाया और अपने पति को कमरे से बाहर नहीं निकलने दिया। रात में जब यमराज साँप का रूप लेकर आए तो गहनों और दीपों की चमक से उनकी आँखें चौंधिया गईं। वे भीतर प्रवेश न कर सके और दरवाजे पर बैठकर लौट गए।  

यमराज ने यह देखकर कहा — "इस कन्या की बुद्धिमानी के कारण आज उसके पति की आयु बढ़ गई है। भविष्य में यह दिन लोगों के लिए मृत्यु से रक्षा का दिन कहलाएगा।"  
तभी से धनतेरस पर दीपदान और नए धन का स्वागत करने की परंपरा शुरू हुई।  

3. लक्ष्मी और कुबेर पूजन की मान्यता  
कहानी यह भी है कि धनतेरस की रात माँ लक्ष्मी और कुबेर पृथ्वी पर भ्रमण करते हैं। जहाँ घर साफ-सुथरा होता है और दीप जलाए जाते हैं, वहाँ वे प्रसन्न होकर प्रवेश करते हैं और स्थायी लक्ष्मी का वास कर देते हैं।  

धनतेरस पर क्या करें और क्या न करें (Do’s & Don’ts on Dhanteras)  

- धातु (सोना, चाँदी, पीतल, स्टील) खरीदना शुभ माना जाता है।  
- टूटी-फूटी या पुरानी वस्तुएँ इस दिन नहीं खरीदनी चाहिए।  
- शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर दीप अवश्य जलाना चाहिए।  
- झाड़ू खरीदना भी शगुन होता है।  
- काले या अपशकुनी वस्त्र न पहनें।  

धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi)

1. घर की सफाई करें और मुख्य द्वार पर रंगोली व स्वस्तिक बनाएं।  
2. पूर्व दिशा की ओर मुख करके माँ लक्ष्मी, भगवान कुबेर और धन्वंतरि की पूजा करें।  
3. जल, अक्षत, फूल, मिठाई और दीपक अर्पित करें।  
4. पीतल या चाँदी के बर्तन में जल और पंचामृत रखें।  
5. कुबेर पूजन कर "कुबेर मंत्र" का जप करें।  
6. यमराज के नाम का दीप दक्षिण दिशा में जलाएं।  

धनतेरस और दीपावली का संबंध  

धनतेरस से ही दीपावली महोत्सव की शुरुआत होती है।  
- त्रयोदशी को धनतेरस  
- चतुर्दशी को नरक चौदस  
- अमावस्या को दीपावली  
- प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा 
- द्वितीया को भाई दूज  

Moral (शिक्षा)  

धनतेरस की कथा हमें यह सिखाती है कि  
- बुद्धिमानी और आस्था से जीवन की कठिनाइयों को दूर किया जा सकता है।  
- मृत्यु जैसे भय को भी दीपक की रोशनी और श्रद्धा से परास्त किया जा सकता है।  
- धन धातु में ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और सकारात्मक सोच में भी बसता है।  

Conclusion (निष्कर्ष)

धनतेरस केवल सोना-चाँदी खरीदने का पर्व नहीं है, बल्कि यह आयु, स्वास्थ्य, धन और समृद्धि का प्रतीक है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि असली "धन" हमारे परिवार का प्रेम, स्वास्थ्य और दीर्घायु है।  

इसलिए धनतेरस पर केवल वस्त्र और बर्तन न खरीदें, बल्कि अच्छे कर्म, दान, दीपदान और आशीर्वाद भी अपनी झोली में भरें।  

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

प्रश्न 1: धनतेरस 2025 कब है?  
उत्तर: धनतेरस 2025, 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी।  

प्रश्न 2: धनतेरस पर क्या खरीदना शुभ होता है?  
उत्तर: सोना-चाँदी, नए बर्तन, झाड़ू और इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदना शुभ होता है।  

प्रश्न 3: क्या धनतेरस पर काले कपड़े पहन सकते हैं? 
उत्तर: नहीं, धनतेरस पर उज्ज्वल और नए वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।  

प्रश्न 4: धन्वंतरि भगवान कौन हैं?
उत्तर: धन्वंतरि देवताओं के वैद्य और आयुर्विज्ञान के जनक माने जाते हैं।  

प्रश्न 5: धनतेरस पर दीपदान क्यों किया जाता है? 
उत्तर: यमराज को दीप अर्पित करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और आयु में वृद्धि होती है।  


Comments

Popular posts from this blog

kanyakubj brahmin vanshavali : कान्यकुब्ज ब्राह्मण वंशावली

kanyakubj brahmin vanshavali : कान्यकुब्ज ब्राह्मण वंशावली नमस्कार मित्रों ,आज मुझे कान्यकुब्ज  ब्राह्मण की वंशावली प्राप्त हुई है अतः मैंने सोचा कि यह वंशावली आप सभी लोगों को उपलब्ध कराऊ  प्राचीन काल में कन्नौज को कान्यकुब्ज देश कहा जाता था  इसीलिए जो ब्राह्मण कान्यकुब्ज देश से संबंध रखते थे वह सभी ब्राह्मण कान्यकुब्ज ब्राह्मण कहलाए कान्यकुब्ज ब्राह्मण वेदों और शास्त्रों में बहुत निपुण होते थे  इसलिए ऐसा माना जाता है कि कान्यकुब्ज ब्राह्मण ब्राह्मणों में श्रेष्ठ ब्राह्मण होते हैं  गोत्र और इष्ट देव कात्यायन गोत्र वंशावली कश्यप गोत्र वंशावली शांडिल्य गोत्र वंशावली उपमन्यु गोत्र वंशावली सांकृत गोत्र वंशावली भरद्वाज गोत्र वंशावली गर्ग गोत्र वंशावली गौतम गोत्र वंशावली धनंजय गोत्र वंशावली भारद्वाज गोत्र वंशावली वत्स गोत्र वंशावली कश्यप गोत्र वंशावली कौशिक गोत्र वंशावली वशिष्ठ गोत्र वंशावली पाराशर गोत्र वंशावली कविस्त गोत्र वंशावली

करवा चौथ 2025: व्रत विधि, शुभ मुहूर्त, पूजन सामग्री और कथा | Karwa Chauth Vrat Vidhi

करवा चौथ 2025 व्रत विधि, कथा और शुभ मुहूर्त करवा चौथ 2025 व्रत विधि, कथा और शुभ मुहूर्त तिथि: गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025 करवा चौथ का महत्व (Karwa Chauth Vrat ka Mahatva) करवा चौथ भारतीय विवाहित स्त्रियों का एक पावन व्रत है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं और अपने पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करती हैं। यह व्रत केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि प्रेम, विश्वास और त्याग का भी प्रतीक है। करवा चौथ 2025 शुभ मुहूर्त विवरण समय / तिथि तिथि गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025 चतुर्थी तिथि प्रारंभ 9 अक्टूबर 2025, रात 10:54 PM चतुर्थी तिथि समाप्त 10 अक्टूबर 2025, शाम 10:38 PM पूजन का समय शाम 05:57 PM – 10:11 PM चंद्रोदय समय रात 08:47 PM ...

खून का बदला।khoon ka badla - Chepter 1

चाँदनी रात का सन्नाटा था। हवाओं में एक ठंडी कराह सी बह रही थी। नगर के सबसे बड़े हवेली के बाहर गाड़ियों की कतारें लगी थीं, क्योंकि भीतर उस अमीर जागीरदार रुद्रप्रताप सिंह का भव्य जलसा चल रहा था। चारों ओर चकाचौंध रौशनी और शाही सजावट थी। लेकिन उस चमक-धमक के बीच एक कोना ऐसा भी था जहाँ अंधेरा पसरा हुआ था।वहीँ पर, खिड़की की सलाखों से झाँकता बैठा था वह लड़का, आरव। आरव की पहली झलक आरव इस हवेली का इकलौता वारिस था। दौलत की कोई कमी नहीं थी। उसके पिता के पास अपार ज़मीन-जायदाद, कंपनियाँ और अनगिनत सोना-चाँदी था। लेकिन भीतर से आरव कभी इस दौलत पर घमंड नहीं करता।आरव की सबसे बड़ी समस्या यह थी कि उसका दिमाग़ साधारण बच्चों से थोड़ा कमज़ोर था। लोग कहते – “अरे, यह अमीरजादा है… मगर देखो तो जरा, दिमाग से कमज़ोर है। किसी काम का नहीं निकल पाएगा।”ये बातें उसके कानों में लगातार गूंजती रहतीं। कई बार विवाह समारोहों में, रिश्तेदार उसके पीछे हँसते थे। स्कूल में भी उसके साथी मज़ाक उड़ाते थे।मगर आरव के दिल में एक कोमल भाव हमेशा जीवित रहा—प्यार। प्यार की शुरुआत आरव को बचपन से ही अपनी बगिया में खेलना अच्छा लगता था। उसी बग...