शक्ति का पहला अनुभव (Shakti Ka Pehla Anubhav)
एक अद्भुत हिंदी फैंटेसी कहानी – तलवार, शक्ति और बदले की दास्तान
शक्ति का पहला अनुभव
आरव की रगों में अब वह अद्भुत ऊर्जा दौड़ रही थी। तलवार से उठती लाल आभा ने उसकी आँखों को तेज बना दिया था। वह अपने आपको अब वैसा "कमज़ोर" नहीं महसूस कर रहा था, जैसा लोग उसे कहते थे।
जब उसने आईने में खुद को देखा तो पाया कि उसकी पीठ पर एक अनोखा लाल प्रतीक उभर आया था। उसे लगा मानो यह कोई साधारण शक्ति नहीं, बल्कि पूर्वजों का आशीर्वाद हो।
पहला टकराव
अगली ही सुबह हवेली के बाहर जमावड़ा था। कुछ लड़के, जो हमेशा आरव का मज़ाक उड़ाते थे, उसके सामने आ खड़े हुए। पर इस बार हालात अलग थे।
आरव की आँखों की चमक और ज़मीन का अचानक कंपन देखकर वे घबराकर भाग खड़े हुए। आरव ने पहली बार महसूस किया कि अब लोग उससे डरने लगे हैं।
अनन्या से मुलाक़ात
शाम को जब बगिया में अनन्या आई, तो उसने आरव की बदलती हुई आँखों को देखा। उसने चेतावनी दी—
“आरव! बदला इंसान को अंधेरे में ले जाता है। ताक़त का इस्तेमाल सोच-समझकर करना।”
आरव ने मन ही मन ठान लिया कि चाहे जो हो—अपने प्यार की रक्षा वह हर हाल में करेगा।
रहस्यमयी साधु का आगमन
रात को हवेली में एक साधु पहुँचा। उसने आरव से कहा—
“तेरे हाथ में जो तलवार है, वह सिर्फ हथियार नहीं… यह खून से प्यासा वरदान है। हर वरदान एक श्राप भी होता है।”
साधु ने चेताया कि यदि आरव ने तलवार को काबू नहीं किया, तो सबसे पहले उसका अपना खून बहेगा।
खून की प्यास
उस रात तलवार ने सपने में आरव से कहा—
“मैं खून की भूख हूँ। मुझे तेरा पहला शिकार चाहिए।”
आरव बेचैनी में जाग उठा। अब यह सिर्फ उसकी इच्छा नहीं बल्कि तलवार की प्यास भी थी।
कहानी का नया मोड़
अब आरव के सामने दो रास्ते थे—
- साधु की सीख मानना और शक्ति को नियंत्रित करना।
- या तलवार की प्यास पूरी करके अपने दुश्मनों का खून बहाना।
क्या वह अपने प्यार अनन्या के लिए सही रास्ता चुनेगा या अंधेरे में खो जाएगा?
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