Bhakt aur Bhagwan ka rishta |भक्त और भगवान का रिश्ता

 

 Bhakt aur Bhagwan ka rishta |भक्त और भगवान का रिश्ता 






लोगों को बहुत बार यह कहते हुए सुना है हे भगवान यह आपने क्या कर दिया मैंने तो कुछ ऐसा नहीं किया था जिसका आपने मुझे यह फल दिया लेकिन जब हम अपने अतीत में झांक कर देखेंगे तो हमें एहसास हो जाता है कि हमने जो कर्म किया था उसका ही हमें फल मिला है अगर बीज आपने अमरूद के पेड़ का डाला है और आप सोच रहे हैं कि उस आम आ जाए तो क्या यह संभव हो सकता है नहीं. अगर हम अच्छा कर्म करेंगे तो हमें फल भी अच्छा मिलेगा हम जैसा या जिस प्रकार का कर्म करते हैं अतीत में हमें फल भी वैसा ही मिलता है तो हम अगर बुरा कर्म  करेंगे तो आगे आने वाले समय में  हमें उसका अच्छा फल कैसे मिलेगा व्यक्ति जब अधर्म करता है तो यह भूल जाता है कि आने वाले समय  में इसका एक ना एक दिन फल अवश्य मिलेगा


 और जब फल मिलने की बारी आती है तो फिर भगवान को बोलता है कि हे भगवान की आपने क्या किया कर्म हमने हमने किया सुख भोग हमने प्राप्त किया और जब दुख की बारी आई तो हम भगवान को बोलते हैं हम हर बार मंदिर या मस्जिद गुरुद्वारे मैं जाते हैं क्योंकि रास्ता अलग अलग है लेकिन घाट एक ही है जहां पर  हम मोक्ष को प्राप्त होंगे हम मंदिर जाते हैं प्रभु के दर्शन करने के लिए और बाद में उनसे ही बोलते हैं कि भगवान हमारी यह प्रार्थना है सुन लेना मैं आपको इतने रुपए का प्रसाद चढ़ा दूंगा या आपके लिए इतना इतना करूंगा वगैरह वगैरह 


लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आप कभी बिना काम के मंदिर में गए चलो आज भगवान जी के पास जाते हैं और बस दो मीठी मीठी बातें बोलकर आते हैं आज कुछ भगवान से आज कुछ नहीं मांगना है बस सिर्फ आज भगवान के दर्शन करने हैं क्या कभी आपने मन ही मन में भगवान से कभी बात करी है एक बार भगवान को दिल से अपना कर देखो एक बार भगवान जी से अपना रिश्ता बना लो उसके बाद आप स्वयं समझोगे कि उस रिश्ते का क्या आनंद है 


उनके रिश्ते में आप सांसारिक रिश्ते नाते सब भूल जाओगे आप एक बार बस प्रभु से रिश्ता बना कर देखो मैं दावे के साथ कहता हूं कि जिस दिन आपका प्रभु के साथ एक आत्मीय रिश्ता बन गया उसके बाद आप स्वयं प्रभु से मन ही मन में बातें करेंगे और आपको ऐसा प्रतीत होगा कि प्रभु आपकी सारी बातें सुन रहे हैं और आपको उसका जवाब भी मिल रहा मिल रहा है 


आप व्हाट्सएप पर नए-नए दोस्त बनाते हो फेसबुक पर नई नई दोस्त बनाते हो ट्विटर पर नए नए दोस्त बनाते हो और ना जाने कौन सी नई नई सोशल नेटवर्किंग साइट पर अपने दोस्त बनाते हो लेकिन क्या आपने कभी भगवान को अपना दोस्त बनाया है  एक बार भगवान को अपना दोस्त बना करके देखो आप कभी भी समस्या लेकर इधर-उधर नहीं भागेंगे आपका दोस्त ही आपकी सारी समस्याएं चुटकियों में हल कर देगा एक बार भगवान से दोस्ती तो करके देखो एक बार भगवान से रिश्ता बना कर देखो आप अपने आपको स्वयं भूल जाएंगे कि आप कौन हैं आपको एक अलग की शांति का अनुभव होगा जो आपने पहले नहीं हुआ  किया होगा


 आप जब मंदिर जाते हैं तो यह सोचते हैं कि भगवान के घर जा रहे हैं तो उसमें उत्साह बहुत कम होता है कि बस मंदिर जा रहे हैं और वापस आ जाएंगे लेकिन जवाब कभी अपने पुराने दोस्त जो बहुत सालों बाद मिला है आप उसके यहां जाते हैं तो एक आपके अंदर नई उमंग और उत्साह होता है वही उमंग और उत्साह भगवान से मिलने वक्त क्यों नहीं होती  क्योंकि हमने भगवान से कोई रिश्ता नहीं बनाया है जिस दिन आप अपने भगवान से रिश्ता बना लेंगे सारी समस्याएं आपकी वही खत्म हो जाएंगे 


आज से हम संकल्प लेते हैं कि हम प्रभु से भी एक नया रिश्ता कायम करेंगे जो भी आपको लगता है जिस रिश्ते में आप प्रभु को देखना पसंद करेंगे वही  रिश्ता आप भगवान से बना लें


और फिर उसके बाद देखना प्रभु भी आपको उसी तरह ही जवाब देंगे जिस रूप में आपने उनको अपनाया है कहते हैं ना कि अगर बालक प्रभु की आराधना करता है तो प्रभु बालक के रूप में प्रकट हो जाते हैं जब  ऋषि मुनि भगवान की तपस्या करते थे तो भगवान अपने रूप में प्रकट हो कर बने वरदान देते थे तो कहने का तात्पर्य यह है कि आप अपने मन में भगवान की किस तरह की मूरत बना लेंगे भगवान भी उसी तरह से आपके साथ व्यवहार करेंगे और आपका मार्गदर्शन करेंगे आपने बचपन मे या कथा भगवत मई सुनते आये हो  कि कृष्ण भगवान ने किस-किस रूप में को अपने भक्त लोगों को दर्शन दिए किसी को बाल रूप में दर्शन के लिए किसी को ब्राह्मण वेश में दर्शन दिए किसी को स्वयं स्वय डके रूप मई दर्शन दिए और जिस ने जिस तरीके से पूजा उनको उसी रूप में स्वीकार किया 


तो आप भी भगवान को जिस तरीके से पूजेंगे या जिस प्रकार का रिश्ता बनाएंगे भगवान जी आपको वैसा ही बर्ताव करेंगे  दुनिया के सारे ग्रंथों में यह जरूर लिखा है के हमें दुसरो के मदद करनी चाहेये  जो दुसरो के मदद करता है भवन उसकी मदद करता है  


 हम सबके अंदर भगवान हैं कहीं ना कहीं हैं अगर हम अपने अंदर ईश्वर को खोजेंगे तो आप को भी मिल जायेगा  तो क्या हमने कभी सोचा है कि जिस स्वर हम बोल रहे हैं वह भी तो इ  स्वर है और  इ स्वर मिलकर  ईश्वर  बन जाता  है 

 

इस पोस्ट के माध्यम से हम आज यह संकल्प लेते हैं कि हमसे जितना हो सकेगा हम दूसरों की भलाई करेंगे और सेवा करेगी करेंगे

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जय श्री राम जय महाकाल

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