Skip to main content

परशुराम बाबा की पूरी कहानी – जन्म, जीवन, पराक्रम और अमरत्व | Parshuram Baba Story in Hindi

परशुराम जी की कहानी | Parshuram Baba Story in Hindi    

 
पढ़ें परशुराम बाबा की प्रेरणादायी कहानी। जानें उनका जन्म, जीवन, पराक्रम, भगवान गणेश से युद्ध, माता-पिता की आज्ञा पालन, सहस्त्रार्जुन वध और महेंद्रगिरी तपस्थली की गाथा।  

परिचय | Introduction  

भारतीय संस्कृति और पुराणों में भगवान विष्णु के 10 अवतारों का विशेष महत्व है। इन्हीं में से एक हैं *भगवान परशुराम*, जिन्हें अन्य अवतारों से अलग इसीलिए माना जाता है क्योंकि वे आज भी जीवित हैं। परशुराम जी का जन्म एक ब्राह्मण कुल में हुआ मगर उनका पराक्रम क्षत्रिय योद्धाओं को भी मात देता था। यही कारण है कि उन्हें ब्राह्मणों के आराध्य देवता माना जाता है।  

परशुराम जी की कथा धर्म, सत्य, भक्ति और शक्ति का अद्भुत संगम है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि धर्म की रक्षा के लिए यदि शस्त्र उठाना पड़े तो क्षणभर भी संकोच नहीं करना चाहिए।  

परशुराम का जन्म और परिवार | Birth of Parshuram 
 
- परशुराम जी का जन्म *त्रेता युग* में वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था। यही दिन आज *अक्षय तृतीया* के रूप में मनाया जाता है।  
- इनका जन्म स्थान मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के *मानपुर गांव के जानापाव पहाड़ी* को माना जाता है।  
- पिता: ऋषि जमदग्नि (रघुवंशी ब्राह्मण)  
- माता: रेणुका (राजा प्रसनजीत की कन्या)  

भगवान शिव ने उन्हें फरसा (परशु) प्रदान किया और इसे सदैव धारण करने के कारण ही उनका नाम पड़ा परशुराम।  

भगवान शिव के भक्त परशुराम | Shaiv Bhakti of Parshuram  
परशुराम जी भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं लेकिन उनकी भक्ति का केंद्र भगवान शिव थे। कठोर तप और साधना से प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें दिव्य परशु (फरसा) प्रदान किया था। यही शस्त्र आगे चलकर धर्म की रक्षा का माध्यम बना।  
परशुराम और गणेश जी की कथा | Parshuram and Ganesha Story  

एक प्रसंग के अनुसार परशुराम भगवान शिव से मिलने कैलाश पर्वत गए। वहां गणेश जी ने उन्हें रोक दिया। इस पर दोनों के बीच युद्ध हुआ। युद्ध में गणेश जी ने अपने पराक्रम से परशुराम को धराशायी कर दिया।  
लेकिन जब परशुराम को चेतना आई, तो उन्होंने क्रोधित होकर अपनी कुल्हाड़ी चला दी जिससे गणेश जी का एक दांत टूट गया। इसी कारण उनका एक नाम पड़ा। एकदंत ।  

परशुराम और मातृभक्ति | Story of Renuka Mata

रेणुका जी एक बार नदी किनारे गईं और राजा चित्ररथ को जलक्रीड़ा करते देखकर उनका मन विचलित हुआ। तपोबल से यह जानकर ऋषि जमदग्नि ने अपने पुत्रों को माता का वध करने का आदेश दिया।  
- बड़े पुत्रों ने मना कर दिया तो उन्हें शाप दे दिया गया।  
- सबसे छोटे पुत्र परशुराम ने पिता की आज्ञा मानकर माता का वध कर दिया।  

आज्ञा पालन देखकर जमदग्नि प्रसन्न हुए और वरदान मांगे जाने पर परशुराम जी ने मां को पुनः जीवित करने, भाइयों को पुनर्जीवित करने, युद्ध में अजेय होने और अमरत्व की मांग की।  

परशुराम और सहस्त्रबाहु अर्जुन | Parshuram vs Sahasrarjun 
 
महिष्मति के राजा सहस्त्रबाहु अर्जुन को कामधेनु गाय की विशेषता का लोभ हुआ।  
- उन्होंने कामधेनु गाय को बलपूर्वक लेने का प्रयास किया और ऋषि जमदग्नि का वध कर दिया।  
- जब परशुराम लौटे और अपने पिता की हत्या देखी, तो उन्होंने सहस्त्रबाहु अर्जुन का संहार कर दिया।  

इस घटना ने परशुराम जी को *क्षत्रियों के विरोध* का प्रतीक बना दिया।  

21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन किया | Kshatriyas and Parshuram  

पिता की हत्या का प्रतिशोध लेने और अन्यायपूर्ण क्षत्रिय अत्याचारों को समाप्त करने के लिए परशुराम ने **21 बार धरती को क्षत्रिय विहीन किया**।  
बाद में महर्षि ऋचिक ने उन्हें समझाया और उन्होंने यह अभियान रोककर तप के लिए महेंद्रगिरि पर्वत की शरण ली।  

अमरत्व का रहस्य | Immortality of Parshuram 
 
भगवान विष्णु का अवतार होने के कारण परशुराम बाबा को अमरत्व का वरदान प्राप्त है। माना जाता है कि वे आज भी *महेंद्रगिरि पर्वत (ओडिशा)* पर तपस्या कर रहे हैं और कलियुग में भगवान कल्कि के गुरु बनेंगे।  

परशुराम जयंती | Parshuram Jayanti 
 
- वैशाख शुक्ल तृतीया को परशुराम जयंती मनाई जाती है।  
- इस दिन उपवास और व्रत का विशेष महत्व है।  
- ब्राह्मण समाज इस दिन को बड़े उत्साह के साथ मनाता है।  

परशुराम का प्रभाव और आदर्श | Parshuram Ideals  

परशुराम जी सिर्फ एक योद्धा ही नहीं, बल्कि ब्राह्मण समाज और हिंदू धर्म के लिए आदर्श पुरुष थे। उनके आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं—  
- धर्म की रक्षा सर्वोपरि  
- गुरु और माता-पिता की आज्ञा का पालन  
- अन्याय और अत्याचार के खिलाफ संघर्ष  
- तप, त्याग और साधना का महत्व  

 FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)  

Q1. परशुराम जी का जन्म कहाँ हुआ था?  
Ans. मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में जानापाव पर्वत पर।  

Q2. परशुराम जी को फरसा किसने दिया था? 
Ans. भगवान शिव ने उन्हें फरसा प्रदान किया था।  

Q3. क्या परशुराम जी अमर हैं?  
Ans. हाँ, उन्हें अमरत्व का वरदान प्राप्त है और वे आज भी महेंद्रगिरि पर्वत पर तप कर रहे हैं।  

Q4. परशुराम जी ने कितनी बार क्षत्रियों का संहार किया था? 
Ans. 21 बार।  

Q5. परशुराम जी का अगला कार्य क्या होगा?  
Ans. कलियुग में भगवान कल्कि के गुरु के रूप में वे प्रकट होंगे।  

निष्कर्ष | Conclusion

भगवान परशुराम जी की गाथा हमें यह सिखाती है कि अन्याय सहना पाप है और धर्म की रक्षा करना सच्चा जीवन है। वे जन्म से ब्राह्मण होने के बावजूद योद्धा-धर्म का पालन करते हुए धर्मस्थापना का महान कार्य करते हैं।  

Moral of the Story  
- धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाना भी पुण्य है।  
- माता-पिता और गुरुओं की आज्ञा जीवन का सबसे बड़ा धर्म है।  
- अन्याय और अत्याचार का अंत अवश्य होता है।  
- तप, संयम और साधना से ही मनुष्य का कल्याण संभव है।  








 

Comments

Popular posts from this blog

kanyakubj brahmin vanshavali : कान्यकुब्ज ब्राह्मण वंशावली

kanyakubj brahmin vanshavali : कान्यकुब्ज ब्राह्मण वंशावली नमस्कार मित्रों ,आज मुझे कान्यकुब्ज  ब्राह्मण की वंशावली प्राप्त हुई है अतः मैंने सोचा कि यह वंशावली आप सभी लोगों को उपलब्ध कराऊ  प्राचीन काल में कन्नौज को कान्यकुब्ज देश कहा जाता था  इसीलिए जो ब्राह्मण कान्यकुब्ज देश से संबंध रखते थे वह सभी ब्राह्मण कान्यकुब्ज ब्राह्मण कहलाए कान्यकुब्ज ब्राह्मण वेदों और शास्त्रों में बहुत निपुण होते थे  इसलिए ऐसा माना जाता है कि कान्यकुब्ज ब्राह्मण ब्राह्मणों में श्रेष्ठ ब्राह्मण होते हैं  गोत्र और इष्ट देव कात्यायन गोत्र वंशावली कश्यप गोत्र वंशावली शांडिल्य गोत्र वंशावली उपमन्यु गोत्र वंशावली सांकृत गोत्र वंशावली भरद्वाज गोत्र वंशावली गर्ग गोत्र वंशावली गौतम गोत्र वंशावली धनंजय गोत्र वंशावली भारद्वाज गोत्र वंशावली वत्स गोत्र वंशावली कश्यप गोत्र वंशावली कौशिक गोत्र वंशावली वशिष्ठ गोत्र वंशावली पाराशर गोत्र वंशावली कविस्त गोत्र वंशावली

करवा चौथ 2025: व्रत विधि, शुभ मुहूर्त, पूजन सामग्री और कथा | Karwa Chauth Vrat Vidhi

करवा चौथ 2025 व्रत विधि, कथा और शुभ मुहूर्त करवा चौथ 2025 व्रत विधि, कथा और शुभ मुहूर्त तिथि: गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025 करवा चौथ का महत्व (Karwa Chauth Vrat ka Mahatva) करवा चौथ भारतीय विवाहित स्त्रियों का एक पावन व्रत है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं और अपने पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करती हैं। यह व्रत केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि प्रेम, विश्वास और त्याग का भी प्रतीक है। करवा चौथ 2025 शुभ मुहूर्त विवरण समय / तिथि तिथि गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025 चतुर्थी तिथि प्रारंभ 9 अक्टूबर 2025, रात 10:54 PM चतुर्थी तिथि समाप्त 10 अक्टूबर 2025, शाम 10:38 PM पूजन का समय शाम 05:57 PM – 10:11 PM चंद्रोदय समय रात 08:47 PM ...

खून का बदला।khoon ka badla - Chepter 1

चाँदनी रात का सन्नाटा था। हवाओं में एक ठंडी कराह सी बह रही थी। नगर के सबसे बड़े हवेली के बाहर गाड़ियों की कतारें लगी थीं, क्योंकि भीतर उस अमीर जागीरदार रुद्रप्रताप सिंह का भव्य जलसा चल रहा था। चारों ओर चकाचौंध रौशनी और शाही सजावट थी। लेकिन उस चमक-धमक के बीच एक कोना ऐसा भी था जहाँ अंधेरा पसरा हुआ था।वहीँ पर, खिड़की की सलाखों से झाँकता बैठा था वह लड़का, आरव। आरव की पहली झलक आरव इस हवेली का इकलौता वारिस था। दौलत की कोई कमी नहीं थी। उसके पिता के पास अपार ज़मीन-जायदाद, कंपनियाँ और अनगिनत सोना-चाँदी था। लेकिन भीतर से आरव कभी इस दौलत पर घमंड नहीं करता।आरव की सबसे बड़ी समस्या यह थी कि उसका दिमाग़ साधारण बच्चों से थोड़ा कमज़ोर था। लोग कहते – “अरे, यह अमीरजादा है… मगर देखो तो जरा, दिमाग से कमज़ोर है। किसी काम का नहीं निकल पाएगा।”ये बातें उसके कानों में लगातार गूंजती रहतीं। कई बार विवाह समारोहों में, रिश्तेदार उसके पीछे हँसते थे। स्कूल में भी उसके साथी मज़ाक उड़ाते थे।मगर आरव के दिल में एक कोमल भाव हमेशा जीवित रहा—प्यार। प्यार की शुरुआत आरव को बचपन से ही अपनी बगिया में खेलना अच्छा लगता था। उसी बग...