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गोवर्धन पूजा 2025: पावन कथा, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि | Govardhan Puja Kahani & Vidhi

गोवर्धन पूजा 2025: पावन कथा, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि | Govardhan Puja Kahani & Vidhi


जानें गोवर्धन पूजा की पौराणिक कहानी, पूजा के शुभ मुहूर्त और संपूर्ण विधि। इस दिव्य पर्व को सही श्रद्धा और विधि से कैसे मनाएं, पढ़ें पूरी जानकारी।  

Govardhan Puja Ki Pavann Kahani Aur Mahatva । गोवर्धन पूजा की कहानी

गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान कृष्ण की एक अद्भुत लीला को समर्पित है। यह पूजा कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को मनाई जाती है। इस दिन बृजवासियों ने प्रकृति और भगवान कृष्ण की महिमा का अभिनन्दन करने के लिए गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। 

कथा की शुरुआत होती है जब ब्रजवासी इंद्र देव की पूजा करते थे। यशोदा मैया ने एक दिन बालक कृष्ण से पूछा, "लल्ला, यह पूजा किसकी तैयारी हो रही है?" कृष्ण ने जवाब में कहा, "मईया, हमें इंद्र की पूजा नहीं बल्कि गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी गायें वहीं चरती हैं और वही हमारा वास्तविक आश्रय है।"  

यह बात सुन कर इंद्र देव को बहुत क्रोध आया। उन्होने भारी वर्षा भेज दी जो बृजवासियों को डुबाने लगी। तब भगवान कृष्ण ने अपनी कनिष्ठा अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया जिससे सभी बृजवासी और उनके पशु उस छत्रछाया में सुरक्षित रहे। सात दिनों तक चले इस प्रलयकारी वर्षा में भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों की रक्षा की।  

आखिरकार, इंद्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ और वे भगवान कृष्ण के चरणों में गिर गए। इस प्रकार से यह पूजा प्रकृति, पशु और भगवान कृष्ण की महिमा का सम्मान है। गोवर्धन पूजा में गायों और बैलों का भी विशेष पूजन किया जाता है। इसके साथ ही अन्नकूट भोग भी लगाया जाता है। पूजा के दिन घरों में गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर भगवान की पूजा की जाती है।   

Govardhan Puja 2025 Ka Shubh Muhurat Aur Samay  गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 2025  

- तारीख: 22 अक्टूबर 2025 (बुधवार)  
- प्रातःकाल मुहूर्त: सुबह 06:25 बजे से 08:41 बजे तक  
- सायंकाल मुहूर्त: दोपहर 03:29 बजे से 05:44 बजे तक  

शुभ मुहूर्त में पूजा करना धार्मिक दृष्टि से उत्तम माना जाता है।  
Govardhan Puja Ki Sampoorna Vidhi: Ghar Par Kaise Karein Puja 

गोवर्धन पूजा विधि  

1. सुबह स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।  
2. घर के आंगन या पूजा स्थल पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का आकार बनाएं।  
3. पर्वत को फूल, हरे पत्ते और मेवा से सजाएं।  
4. भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित कर सभी आवश्यक पूजा सामग्री रखें।  
5. पूजा प्रारंभ करते हुए प्रमुख मंत्रों का जप करें।  
6. गाय-बैल का पूजन करें तथा उन्हें गुड़ और चावल खिलाएं।  
7. पूजा समाप्ति पर भंडारे का आयोजन करें।  

Frequently Asked Questions (FAQs)  

Q1: गोवर्धन पूजा कब मनाई जाती है?
A1: गोवर्धन पूजा कार्तिक मास की शुक्ल प्रतिपदा (दिवाली के अगले दिन) को होती है।  

Q2: पूजा के लिए शुभ मुहूर्त क्या है?  
A2: सुबह 6:25 से 8:41 बजे और शाम 3:29 से 5:44 बजे तक सबसे शुभ माना जाता है।  

Q3: गोवर्धन पूजा क्यों होती है? 
A3: यह पूजा भगवान कृष्ण की गोवर्धन पर्वत उठाने की लीला की स्मृति में और गायों के संरक्षण के लिए मनाई जाती है।  

Q4: पूजा में क्या आवश्यक है?
A4: पूजा में गोबर से पर्वत बनाना, कृष्ण की मूर्ति, गाय-बैल पूजन, अन्नकूट भोग और मंत्र पाठ शामिल हैं।  

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