दीपावली 2025 पूजा विधि, कथा, महत्व और शुभ मुहूर्त | Diwali Puja Vidhi & Katha
लेखक: Astro Kahani Khabar टीम |
दीपावली 2025: त्यौहार का महत्व और इतिहास | Diwali Significance
दीपावली केवल एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है। यह पर्व धन, सुख-समृद्धि, भाईचारे और आत्मिक प्रकाश को प्रकट करता है।
- यह पर्व हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने की प्रेरणा देता है।
- लक्ष्मी पूजन द्वारा समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
- व्यावसायिक वर्ग इसे नए वर्ष की शुरुआत मानते हैं और नए खाते (बहीखाते) की पूजा करते हैं।
दीपावली की प्रमुख कथाएं | Important Stories of Diwali
- श्रीराम का अयोध्या आगमन: 14 वर्ष के वनवास और रावण वध के बाद राम-सीता-लक्ष्मण के अयोध्या लौटने पर दीप जलाकर स्वागत किया गया।
- समुद्र मंथन और लक्ष्मी जी का प्राकट्य: कार्तिक अमावस्या को देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुईं।
- नरकासुर वध: श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध कर 16,000 रानियों को मुक्त कराया।
- महाभारत कथा: कार्तिक अमावस्या को पांडवों का वनवास समाप्त हुआ था।
- राजा विक्रमादित्य: कार्तिक अमावस्या को राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक हुआ।
दीपावली पूजा सामग्री सूची | Diwali Puja Samagri List
- गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति
- दीपक (11, 21 या 51 + 1 बड़ा)
- मिठाई, खील-बताशा, खिलौना मिठाई
- नया बही-खाता और पेन
- लकड़ी का पाटा और कपड़ा
- चंदन, चावल, कमल का फूल
- सुपारी, पान, शहद, लौंग, इलायची
- घी का दीपक व रूई
- फल, दूध, दही, दूब, हरि धनिया
- गंगाजल
दीपावली पूजा विधि | Step by Step Diwali Puja Vidhi
- घर व पूजा स्थल की सफाई कर गंगाजल छिड़कें।
- पूजा स्थान पर स्वस्तिक या कमल का चिन्ह बनाएं।
- लकड़ी के पट्टे पर कपड़ा बिछाकर गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
- गणेश जी को लक्ष्मी जी की दाईं ओर रखें।
- गंगाजल से शुद्धिकरण कर दीप जलाएं।
- गणेश-लक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन करें।
- नवग्रह व कुलदेवताओं का पूजन करें।
- खील-बताशा, मिठाई, फल, दूध, दही आदि से भोग अर्पित करें।
- व्यापारियों के लिए नया बहीखाता पूजन।
- श्रीसूक्त, लक्ष्मी सूक्त व पुरुषसूक्त का पाठ।
- आरती, धूप-दीप और पारिवारिक आशीर्वाद ग्रहण करें।
- घर के हर कोने में दीप जलाएं।
शुभ मुहूर्त 2025 | Diwali Lakshmi Puja Muhurat 2025
- लक्ष्मी पूजन: 22 अक्टूबर 2025 (बुधवार)
- विशेष मुहूर्त: शाम 5:40 बजे से रात 7:55 बजे तक
- प्रदोष काल: सूर्यास्त के बाद 2 घंटे 24 मिनट
- अमावस्या प्रारंभ: 21 अक्तूबर रात 10:00 बजे
- अमावस्या समाप्त: 22 अक्तूबर रात 08:45 बजे
क्षेत्रीय और पारिवारिक परंपराएं | Regional Traditions of Diwali
- सूप खड़काना - घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर करने की परंपरा।
- ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं की पूजा।
- पंजाब और गुजरात में नया व्यवसायिक वर्ष।
दीवाली पूजन का महत्व | Importance of Diwali Puja
दीवाली पूजन से धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की कृपा मिलती है। यह पर्व घर में सद्भाव, नव ऊर्जा और सकारात्मकता को जगाता है।
FAQs – दीपावली पूजा से जुड़े सामान्य प्रश्न
Q1. दीपावली पर किसकी पूजा की जाती है?
A. मुख्य रूप से भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा होती है।
Q2. दीपावली के दिन बहीखाता क्यों रखते हैं?
A. नया व्यवसायिक वर्ष आरंभ करने हेतु।
Q3. कितने दीपक जलाने चाहिए?
A. परंपरानुसार 11, 21 या 51 दीप जलाएं।
Q4. दीपावली पर क्या नहीं करना चाहिए?
A. झगड़ा, गाली-गलौज और गंदगी से बचें।
Q5. क्या बच्चे भी पूजा कर सकते हैं?
A. हां, दीप सजाने और प्रसाद अर्पण में भाग ले सकते हैं।
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