Narak Chaudas, जिसे Kali Chaudas या Roop Chaudas के नाम से भी जाना जाता है, दीपावली के महापर्व का दूसरा दिन होता है। यह दिन विशेष रूप से असुरों के नाश और आत्मिक शुद्धि से जुड़ा हुआ है। इस दिन नरकासुर वध की पौराणिक कथा और स्नान, दान, और पूजा के विशेष नियम प्रचलित हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे।
Narak Chaudas 2025 Date and Muhurat (Narak Chaudas Kab Hai?)
- तारीख: 30 अक्टूबर 2025 (गुरुवार)
- नरक चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: प्रातः 01:45 मिनट से
- नरक चतुर्दशी तिथि समाप्ति: रात 11:20 मिनट तक
- अभ्यंग स्नान शुभ मुहूर्त: सुबह 4:45 से 6:15 बजे तक
Narak Chaudas Meaning (Narak Chaturdashi Kya Hai?)
Narak Chaudas का शाब्दिक अर्थ है – नरक से छुटकारा पाने वाली चतुर्दशी।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस दिन अभ्यंग स्नान, दीपदान, और मंत्रोच्चार करके व्यक्ति अपने पापों से मुक्त होता है और मृत्यु के बाद उसे नरक का कष्ट नहीं भोगना पड़ता।
इस दिन को देशभर में अलग-अलग नामों से जाना जाता है –
- काली चौदस(गुजरात में)
- रूप चौदस / रूप चौदशी (उत्तर भारत)
- नरक चतुर्दशी (दक्षिण भारत)
- चोटी दीवाली (कई क्षेत्रों में)
Narak Chaudas Puja Story (Narakasura Vadh Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार दानव नरकासुर ने अपनी शक्ति से तीनों लोकों में आतंक मचा दिया था। उसने 16,000 कन्याओं को बंदी बना लिया था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से नरकासुर का वध किया और उन कन्याओं को मुक्त कराया।
इसी कारण इस दिन को नरक चतुर्दशी कहा जाता है। यह असुर पराजय और धर्म की विजय का प्रतीक है।
Narak Chaudas Puja Importance (Mahatva)
- शरीर और आत्मा की शुद्धि के लिए अभ्यंग स्नान किया जाता है।
- पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- घर में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि आती है।
- स्वास्थ्य, सौंदर्य और धन के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है।
पंडित और शास्त्रों के अनुसार Narak Chaudas puja के लिए निम्न सामग्री की आवश्यकता होती है:
- तेल
- आटा और ह
- दीपक (सरसों तेल या घी का)
- फूल
- चंदन
- रोली
- अगरबत्ती या धूप
- गंगाजल
- तिल और उबटन (संधान के लिए)
- मिठाई और नैवेद
- कृष्ण, यमराज और हनुमान जी की तस्वीर या मूर्ति
Narak Chaudas Puja Vidhi (Step by Step Process)
1. Abhyang Snan (स्नान विधि)
- प्रातः ब्रह्ममुहूर्त (सूर्योदय से पहले) उठें।
- शरीर पर उबटन (आटे, सरसों के तेल और हल्दी से बना लेप) लगाएं।
- फिर गंगाजल युक्त स्नान करें।
- इस स्नान से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
2. दीपदान और पूजा
- यमराज को प्रसन्न करने के लिए घर के बाहर दक्षिण दिशा में दीया जलाएं।
- घर के मंदिर में दीपमालिका सजाएं।
- भगवान श्रीकृष्ण व यमराज की पूजा करें।
- पुष्प, मिठाई, और नैवेद्य अर्पित करें।
3. हनुमान पूजा (Kali Chaudas Special)
- कई लोग इस दिन हनुमान जी की पूजा करते हैं।
- सिंदूर, चमेली का तेल, और गुड़-चना अर्पण किया जाता है।
- यह पूजा शत्रु बाधाओं और बुरी शक्तियों से रक्षा करती है।
4. दान-पुण्य
- गरीबों को अनाज, वस्त्र और मिठाई दान करें।
- यह पुण्यकर्म नरक के सभी बंधनों से मुक्ति दिलाता है।
Narak Chaudas Ke Totke (Easy Upay)
- इस दिन सरसों तेल का दीपक जलाकर घर के बाहर रखें, बुरी शक्तियाँ दूर होंगी।
- स्नान से पहले शरीर पर सरसों के तेल की मालिश करें, रोग दूर होंगे।
- रूप चौदस पर महिलाएं उबटन लगाकर रूप-सौंदर्य बढ़ाती हैं।
- राहु-केतु दोष में राहत के लिए तिल व गुड़ चढ़ाएं।
Regional Celebrations of Narak Chaudas
उत्तर भारत में
इसे रूप चौदस कहते हैं। महिलाएं सुंदरता के लिए विशेष उबटन और पूजन करती हैं।
गुजरात और राजस्थान में
यहाँ काली चौदस के रूप में हनुमान पूजा और तांत्रिक साधनाओं का महत्व है।
दक्षिण भारत में
इसे वास्तविक दीपावली माना जाता है, और भगवान कृष्ण-नरकासुर वध कथा का विशेष उत्सव मनाया जाता है।
Narak Chaudas and Astrology Connection
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह दिन पितृ-दोष निवारण और नकारात्मक ग्रहों के शमन के लिए उपयुक्त है।
- यमराज की पूजा से मृत्यु भय दूर होता है।
- तिल के तेल का दीपक राहु-केतु के दुष्प्रभाव को कम करता है।
- हनुमान पूजा शनि दोष से मुक्ति देती है।
Chaudas 2025 Puja Mantra
पूजा के दौरान निम्न मंत्रों का जाप करना श्रेष्ठ माना गया है:
- "ॐ यमाय नमः"
- "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"
- "ॐ हनुमते नमः"
Narak Chaudas पूजा के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न) और उनके सरल उत्तर इस प्रकार हैं:
FAQs on Narak Chaudas Puja
1. नरक चौदस पूजा कब करनी चाहिए?
नरक चौदस पूजा दीपावली से एक दिन पहले, कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को सुबह के शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए।
2. नरक चौदस का स्नान कैसे करें?
सुबह अभ्यंग स्नान करें जिसमें हल्दी, आटे और सरसों के तेल का लेप बनाकर पूरे शरीर पर लगाएं, फिर गंगाजल से स्नान करें।
3. नरक चौदस पर कौन-कौन से देवताओं की पूजा होती है?
भगवान श्रीकृष्ण, यमराज, और हनुमान जी की पूजा प्रमुख रूप से होती है।
4. नरक चौदस क्यों मनाई जाती है?
यह दिन नरकासुर नामक दानव के वध और पापों से मुक्ति का प्रतीक है।
5. क्या नरक चौदस के दिन दान करना शुभ होता है?
हाँ, दान-पुण्य करना विशेष रूप से शुभ और पापों को कम करने वाला माना जाता है।
6. नरक चौदस पूजा में क्या-क्या करना चाहिए?
अभ्यंग स्नान, दीपदान, भगवान की पूजा, हनुमान जी की आराधना और दान करना चाहिए।
Narak Chaudas Ke Do’s & Don’ts
Do’s:
- सूर्योदय से पहले स्नान करें और पूजा करें।
- हल्दी और सरसों का तेल अभ्यंग करें।
- घर में दीप जलाएं और यमराज का ध्यान करें।
- जरूरतमंदों को दान दें।
- मंत्रोच्चार के साथ पूजा को विधिपूर्वक करें।
Don’ts:
- नाराजगी और क्रोध से बचें।
- इस दिन मांसाहार और नकारात्मक कार्यों से दूर रहें।
- पूजा करते समय ध्यान भटकाने वाले काम न करें।
Narak Chaudas Puja Ke Fayde (Benefits)
- पाप मुक्ति और आत्मिक शुद्धि होती है।
- शत्रु बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
- स्वास्थ्य और सौंदर्य में वृद्धि होती है।
- घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
- ग्रह दोषों का निवारण होता है।
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