नरक चौदस की पूजा विधि/narak chaudas ki puja vidhi

 नरक चौदस की पूजा विधि/narak chaudas ki puja Vidhi




पूजा सामग्री:


यमराज की मूर्ति या तस्वीर


दीपक


जल


फूल


अक्षत


रोली


कुमकुम


हल्दी


इत्र


प्रसाद


 नरक चौदस की पूजा विधि


पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।


एक चौकी पर यमराज की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।


दीपक जलाकर यमराज को अर्पित करें।


जल से यमराज को स्नान कराएं।


फूल, अक्षत, रोली, कुमकुम, हल्दी, इत्र, आदि से यमराज का पूजन करें।


यमराज की आरती करें।


प्रसाद ग्रहण करें।


नरक चौदस की कथा:/narak chaudas ki katha


एक समय की बात है, एक राजा था जिसके दो बेटे थे। बड़े बेटे का नाम धर्मराज था और छोटे बेटे का नाम अधर्मराज था। धर्मराज एक अच्छा और परोपकारी व्यक्ति था, जबकि अधर्मराज एक बुरा और स्वार्थी व्यक्ति था।


एक दिन धर्मराज ने एक ऋषि से पूछा कि कैसे वह अपने पिता की सेवा कर सकता है। ऋषि ने बताया कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यमराज की पूजा करने से पिता की सेवा होती है।


धर्मराज ने ऋषि के बताए अनुसार पूजा की। पूजा के बाद यमराज ने धर्मराज को आशीर्वाद दिया।


अधर्मराज को जब पता चला कि धर्मराज ने यमराज की पूजा की है तो वह भी यमराज की पूजा करने लगा। अधर्मराज ने पूजा के दौरान यमराज को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के दान किए।


यमराज ने अधर्मराज को भी आशीर्वाद दिया। लेकिन यमराज ने अधर्मराज को बताया कि उसके दान का फल उसे तब मिलेगा जब वह अपने बुरे कर्मों से तौबा करेगा।


तब से नरक चौदस के दिन यमराज की पूजा करने की परंपरा चली आ रही है। इस दिन यमराज की पूजा करने से मृत्यु के बाद नरक में जाने से बचने की मान्यता है।


नरक चौदस का महत्व:


नरक चौदस का त्योहार मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का पर्व है।


इस दिन यमराज की पूजा करने से मृत्यु के बाद नरक में जाने से बचने की मान्यता है।


इस दिन व्रत रखने से भी मृत्यु के बाद नरक में जाने से बचने की मान्यता है।


नरक चौदस के नियम:


नरक चौदस के दिन व्रत रखने से मृत्यु के बाद नरक में जाने से बचने की मान्यता है।


इस दिन यमराज की पूजा करने से भी मृत्यु के बाद नरक में जाने से बचने की मान्यता है।


इस दिन दीपक जलाकर यमराज को अर्पित करने से भी मृत्यु के बाद नरक में जाने से बचने की मान्यता है।

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