बातचीत या बोलना भी एक कला है कैसे?
बातचीत के कितने तरीके होते हैं?
जिससे हमारे मस्तिष्क में उस टॉपिक को लेकर एक इमेज बनता है और हम अपनी बातों को वह रख पाते हैं इसलिए हमें बोलना चाहिए हमें अपने दोस्तों से या जिससे आप अपनी परेशानी शेयर कर सकते हैं उनको समस्याओं को लेकर विचार-विमर्श जरूर करते रहना चाहिए ताकि हमारे बोलने की प्रक्रिया यूं ही चलती रहे और हम धीरे-धीरे अपने बोलने की आदत को और परिपक्व कर सके
बात करने की कला कैसे सीखे?
किसी भी विचार को रखने से पहले रखने पहले हमें यह देखना होगा की उसके क्या-क्या टेक्निकल प्वाइंट है टेक्निकल पॉइंट्स को हमें जरूर नोट करना चाहिए और इन सब पॉइंट को ध्यान में रखते हुए हमको सभा में अपनी बातें रखनी चाहिए जिससे लोग आपकी सोच को सलाम करेंगे और बोलेंगे जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि
बातचीत की कला में निपुण होने के लिए क्या आवश्यक नहीं है?
और एक बात हमको और ध्यान में रखनी चाहिए कि हमको रिसीवर और लिस्नर दोनों बनना होगा जब हम किसी दूसरे की बात को ध्यान से सुनेंगे तब हमारी भी कोई बात ध्यान से सुनेगा कहने का तात्पर्य बस इतना ही है कि अगर कोई दूसरा व्यक्ति अपनी समस्याएं आपके सामने रखता है तो आप उसे अपनी समस्या समझ कर उसका समाधान निकालना चाहिए जिससे दूसरे व्यक्ति के ऊपर एक सकारात्मक परिवर्तन होता है और वह आपकी तरफ खिंचा चला आता है और धीरे-धीरे आपके अंदर भी परिवर्तन होना शुरू हो जाता है और आप दूसरों की समस्याओं को समझते समझते उनका निदान करते करते एक इतने बड़े पद पर ही पहुंच जाते हैं कि आपको पता ही नहीं चलता
और एक बात और मैं कहना चाहूंगा कि आपकी जो समस्या आ रही है अगर बोलने की भी समस्या आ रही है तो सबसे पहले आपको स्वयं समझना होगा और उसके जो पॉइंट्स है उनको इकट्ठा करके आपको ही उसके नोट्स बनाने पड़ेंगे आपको ऐसा नहीं करना चाहिए की हमें हमारी समस्या को किसी दूसरे के ऊपर छोड़ देना चाहिए जिससे हम अपनी समस्याओं से भागने लगते हैं और धीरे-धीरे हम हमारी टीम से यह सभा से दूर हो जाते हैं और फिर एक दिन एहसास होता है कि हमारी टीम ही हमारा सम्मान नहीं करती है क्योंकि हमें बोलना नहीं आता है हमें हमारी टीम के लिए बोलना नहीं आता है पर जब तक हम अच्छी तरीके से नहीं बोल सकते तो हम एक अच्छे लीडर नहीं बन सपकते क्योंकि आपकी टीम आप से यही अपेक्षा रखती है कि आप उनकी बात को अच्छे से अपने सीनियर के सामने रख पाएंगे लेकिन ना बोलने की वजह से हम अपने टीम की बात अपने सीनियर के सामने नहीं रख पाते हैं जिससे हमारी टीम धीरे-धीरे हमसे दूर होने लगती है
और अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि बोलें और अपना कॉन्फिडेंस बढ़ाएं जिससे आपकी बोलने की क्षमता का विकास होगा
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