रुद्राक्ष पहनने से भी रोग पास में फटकते नहीं है
एक मुखी रूद्राक्ष
सिंह राशि के लिए
संबंधित ग्रह
'सूर्य'
एकमुखी रूद्राक्ष को पवित्र करने पर इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
'ॐ ह्रीं नम:'
दो मुखी रुद्राक्ष
कर्क राशि के लिए
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'चंद्र'
दो मुखी रूद्राक्ष को पवित्र करने पर इस मंत्र का जाप करना चाहिए
'ॐ नम:'
तीन मुखी रूद्राक्ष
मेष और वृश्चिक राशि के लिए
संबंधित ग्रह
'मंगल'
तीन मुखी रूद्राक्ष को पवित्र करने पर इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
'ॐ क्लीं नम:'
चार मुखी रूद्राक्ष
मिथुन राशि और कन्या राशी के लिए
संबंधित ग्रह
'बुध'
चार मुखी रूद्राक्ष को पवित्र करने पर इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
'ॐ ह्रीं नम:'
पांच मुखी रूद्राक्ष
धनु राशि और मीन राशि के लिए
संबंधित ग्रह
'बृहस्पति'
पांच मुखी रूद्राक्ष को पवित्र करने पर इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
ॐ ह्रीं क्लीं नम:
छह मुखी रूद्राक्ष
वृषभ राशि और तुला राशि के लिए
संबंधित ग्रह
'शुक्र'
छह मुखी रूद्राक्ष को पवित्र करने पर इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
ॐ ह्रीं ह्रुं नम:
सात मुखी रूद्राक्ष
मकर राशि और कुम्भ राशि के लिए
संबंधित ग्रह
'शनि'
सात मुखी रूद्राक्ष को पवित्र करने पर इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
ॐ हुं नम:
- सिंह राशि व एक मुखी रूद्राक्ष के देवता सूर्यदेव हैं। कुंडली में सूर्यदेव के अशुभ महादशा या अशुभ घर में बैठे है तो जातक अभिमानी, जिद्दी व आलसी हो जाता है व समाज में मान सम्मान में कमी आ जाती है जातक के बार बार मुंह में थूक बनने लगता है और अकारण लोगों पर अपना प्रभाव दिखाने लग जाता है
- एक मुखी रूद्राक्ष को धारण करने के पश्चात भय तथा चिंता से मुक्ति मिल जाती है नेत्र विकार ,अस्थिज्वर ,कर्णरोग ,वाहन चोट,मूत्राशय की पथरी,अस्थिभंग,हृदय रोग नेत्र व त्वचा रोग,अपच,जलन,हृदयरोग,चित्तव्याकुलता,रतौंधी आदि के उपचार व रोकथाम में लाभ मिलता है,जो जातक एक मुखी रूद्राक्ष को धारण करता है उसे भवन शंकर के साथ सूर्य देव का भी निरंतर अशीर्वाद मिलता है. एक मुखी रूद्राक्ष दिव्यता सर्वोच्य सत्य का प्रतीक है जातक के उच्च चेतना को जाग्रत करता है ऐसा ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है.
- कर्क राशि के व दो मुखी रूद्राक्ष के देवता चंद्र देव है यदि कुंडली में चंद्र देव अशुभ प्रभाव दे रहे है तो जातक उदासी, मानसिकतनाव,मन में घबराहट, निराशावादी, तथा अपने आप को असुरक्षित महसूस करता हैं कभी कभी घर में पानी की समस्या भी आ जाती है.
- दो मुखी रूद्राक्ष धारण करने से एकाग्रता व शांति की प्राप्त होती है स्त्री रोग, आंख की खराबी, हृदय व फेफड़ों के रोग, आँखों के विकार, रक्तचाप रक्त, अल्पता, जलोदर, उन्माद मती विभ्रम ,मानसिक प्रकोप ,मानस अस्थिरता ,शीत ज्वर जुकाम ,कफ उपचार व रोकथाम मे सहायक है। यह रूद्राक्ष अच्छे पारिवारिक जीवन जीने की शक्ति देता है इसको पहनने के पश्चात सभी से अच्छे संबंध होने लग जाते है यदि विवाह न हो रहा हो तो विवाह के लिए यह रुद्राक्ष लाभ देता है ।यदि पति-पत्नी में आपस में या पिता पुत्र में आपस में नहीं बनती है तो यह रूद्राक्षर बहुत लाभकारी सिद्ध हो सकता है तनाव पूर्ण संबंधो के लिए भी यह बहुत उपयोगी हो सकता है तथा संतान पाप्ति में भी बहुत सहायक होता है
- मेष, वृश्चिक राशि व तीन मुखी रूद्राक्ष के देवता मगलदेव हैं। इस ग्रह के अशुभ होने से जातक का भाई से विवाद, गुस्सेल स्वभाव, रक्त संबंधी समस्या आवेगी, और जातक बात बात मे क्रोधित हो जाता है व अपने गुस्से के कारण सांसारिक जीवनमें तालमेल स्थापित नहीं कर पाता है
- तीन मुखी रूद्राक्ष धारण करने के पश्रचात यह आत्मविश्वास में वृद्धि, कमजोरी, वास्तुदोष स्त्री के रोगों ,संक्रामक रोगों के उपचार व खुजली अल्सर ,टाइफाइड ,रोकथाम में सहायक है यदि जातक नौकरी या प्रतियोगिता परीक्षा के लिए तैयारी कर रहा है तो तीनमुखी रूद्राक्ष धारण करना शुभ है ऐसा ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है.
- मिथुन राशि और कन्या तथा चारमुखी रूद्राक्ष के देवता बुधदेव है कुंडली मे बुद्धदेव अशुभ फल देने पर जातक के दांत पीले रहते है या कमजोर हो जाते है भयभीत, अस्थिर,व्यवसाय में धोखा, पित्ताशय के रोग,वाक् छमता में कमी तथा कभी कभी मनोविकार रोग से भी घेर लेते है
- चार मुखी रूद्राक्ष धारण करने से धारण करने नाक, कान व गले के रोग, कोढ़, लकवा, दमा आदि रोग में लाभ देता है।वात पित्त, कफ ,चर्म क,आदि विकार एवं नासिका रोग, घाव का नहीं भरना ,बौद्धिक असंतुलन होता है तब चारमुखी रूद्राक्ष धारण करने से लाभ मिलता है जो बालक की पढ़ने में कमजोर हो या बोलने में हकलाता हो उसके लिए भी चारमुखी रूद्राक्ष उत्तम है।
- धनु राशि और मीन राशि व पाँच मुखी रूद्राक्ष के देवता बृहस्पतिदेव है। कुंडली मे बृहस्पतिदेव अशुभ फल देने पर जातक के परिवार में कलह होने लगते हो जातक हर बात पर भावनात्मक दुःखी होने लगता हैं।आर्थिक नुकशान की समस्या बढ़ने लगती है कभी कभी जातक को कुछ बोलना होता है आवेश में आकर गलती से कुछ और ही बोल जाता है जिससे बाद में पछताना भी पड़ता है
- पांच मुखी रूद्राक्ष धारण करने के पश्चात जातक को यकृत रोग,मोटापा, गठिया, कमर सूजन, स्थूलता दुर्बलता पैर विकार, नासूर, वायु कफ, मुख आदि विकार व रीढ़ के रोग, पीलिया, हृदय रोग में सहायक होता है
- वृषभ राशि और तुला राशि तथा छह मुखी रूद्राक्ष के देवता शुक्रदेव हैं। कुंडली में शुक्रदेव के अशुभ होने पर जातक के अंगूठे में चोट ,ज़द्दी, धन का नाश ,परिवारिक अशांति की समस्या आने लगती है कभी कभी स्वप्न दोष की भी शिकायत रहती है
- छ मुखी रूद्राक्ष धारण करने पर जातक को कंठ, गुप्त रोग, दुर्बलता, मधुमेह, किडनी मूत्र, कोढ़,यौन अवयव, पथरी,जलोदर, गर्भधारण में कठिनाई, नपुंसकता, तथा मूत्र रोग पर उपचार में लाभ मिलता है इसको धारण करने के पश्चात जातक स्वास्थ्य सम्पत्ति एवं सुख पाता है। जातक की बुद्धि को बढाता है, अभिव्यक्ति की कुशलता को निखारने में और इच्छा शक्ति को बढ़ाने मे भी यह महत्पूवर्ण भूमिका निभाता है
- मकर राशि और कुम्भ राशि तथा सात मुखी रूद्राक्ष के देवता शनिदेव हैं। कुंडली में शुक्रदेव के अशुभ होने पर जातक के अशुभ काम अचानक से होने लगते है कभी गाड़ी चोरी हो जाना, घर में अचानक से आग लग जाना, जातक एकांत पसन्द करता है जातक के शरीर से फुर्ती गायब हो जाती है
- सात मुखी रूद्राक्ष धारण करने पर जातक को शारीरिक दुर्बलता, लकवा, चिंता, हड्डी रोग, कैंसर, अस्थमा, पेटदर्द, मिर्गी, गर्भपात व स्त्रीरोग, संधिवात, उदर रोग वीर्यवृद्धि, शीघ्रपतन, स्वप्नदोष में लाभ होता है
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