khud par bharosha kahani : खुद पर भरोसा कहानी

khud par bharosha kahani : खुद पर भरोसा कहानी






एक बनिया था उसके चार लड़के थे ।बनिया के तीन लड़के अपने पिताजी के पैसे पर घमंड किया करते थे।और वह यह सोचते थे कि पैसे से कुछ भी खरीदा जा सकता है।

बनिया का सबसे छोटा लड़का राजू था वह खुद पर भरोसा रखता था। राजू की यह सोच थी कि अगर खुद पर भरोसा है तो पैसे तो अपने आप आएंगे इसलिए वह कभी भी अपने पिता के पैसे पर घमंड नहीं किया करता था। उसके तीनों भाई राजू से जलन रखते थे और कुछ ना कुछ गलत बातें अक्सर राजू के बारे में अपने पिताजी से बोला करते थे लेकिन राजू कभी इस बात का बुरा नहीं मानता था।

एक बार की बात है बनिया ने अपने चारों पुत्रों को बुलाया और अपने चारों पुत्रों से पूछा पुत्रों सबसे ज्यादा तुम्हें किस पर भरोसा है। तीनों पुत्रों ने उस बनिया से कहा कि मुझे आप पर और आपके धन पर सबसे ज्यादा भरोसा है।उन तीनों की बातें सुनकर बनिया बहुत खुश हुआ।अब उसके चौथे बेटे राजू की बारी आई तो राजू ने कहा कि पिताजी मुझे सबसे ज्यादा खुद पर भरोसा है आपके धन पर नहीं। 

बनिया को राजू की बात अच्छी नहीं लगी उस बनिया ने अपने तीनों पुत्रों को अपने धन का बंटवारा कर दिया और अपने चौथे पुत्र राजू से कहा कि तुम्हें खुद पर भरोसा है और यह कहकर राजू को एक मरा हुआ चूहा पकड़ा दिया और बोला मेरी तरफ से तुम्हारे लिए यही संपत्ति है अब जाओ और अपने भरोसे के ऊपर धन कमा कर दिखाओ।

राजू पिता की आज्ञा मानकर घर से मरा हुआ चूहा लेकर बाहर निकल गया। राजू मरे हुए चूहे को लेकर पूरे दिन इधर से उधर दौड़ता रहा लेकिन उस मरे हुए चूहे का कोई खरीददार नहीं मिल रहा था। लेकिन फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी कहते हैं ना धैर्य का फल मीठा होता है।

जब राजू उस मरे हुए चूहे को बेचने के लिए गलियों में भटकता घूम रहा था।तभी एक व्यक्ति ने राजू को आवाज लगाई। ऐ लड़के इधर आ मरा हुआ चूहा कितने का बेच रहा है राजू ने बोला साहब ₹50 का बेच रहा हूं।

उस व्यक्ति ने जवाब दिया कि मेरी बिल्ली ने 3 दिन से चूहा नहीं खाया है उसको मरा हुआ चूहा ही पसंद है।इसलिए मैं तुमसे मरा हुआ चूहा खरीद रहा हूं और यह कहकर उस व्यक्ति ने राजू से मरा हुआ चूहा खरीद लिया।

 अब राजू के पास ₹50 आ गए थे अब राजू को शाम को सोने की और खाने की चिंता थी तो सोने और खाने के लिए इधर उधर घूमने लगा। उसने देखा कि एक जगह भगवान का भंडारा चल रहा था तो वहां पर उसने खाना खाया और पास में एक मंदिर था उसमें बहुत सारे व्यक्ति सोए हुए थे अतः वह वहां जाकर सो गया।

अब सुबह राजू के दिमाग में यह प्लान चल रहा था कि अब इन ₹50 का क्या करूं उसे समझ नहीं आ रहा था की ₹50 से अपना खर्चा कैसे चलाऊं।

वह यह सब सोच ही रहा था कि उसके दिमाग में एक प्लान आया वह ₹50 लेकर गया और उसने लाई और कुछ नमकीन खरीदी और लाई और नमकीन लेकर वह मार्केट में बेचने के लिए चला गया। राजू को लाई और नमकीन बेचने में ₹100 का फायदा हुआ अतः अब उसके पास ₹100 हो गए थे। राजू ने फिर भंडारे में खाना खाया और मंदिर में जाकर सो गया ।

राजू ने पूरे 3 महीने तक लाई और नमकीन बेची अब राजू के पास पूरे ₹5000 हो गए थे।राजू ने रेलवे स्टेशन के पास एक टी स्टॉल लगाया और वहां चाय बेचने लगा राजू अपना काम बड़ा ही ईमानदारी से करता था धीरे-धीरे राजू की दुकान पर उसके ग्राहकों की संख्या बढ़ने लगी और उस क्षेत्र में राजू चाय वाला के नाम से बहुत फेमस हो गया। 

राजू ने 3 से 4 साल तक बहुत कड़ी मेहनत की और उसने  हजारों रुपए बचा लिए थे अब राजू ने रेलवे अधिकारियों की मदद से रेलवे में सफाई के लिए टेंडर डाला और राजू का रेलवे में टेंडर पास हो गया अब राजू ट्रेनों में सफाई का ठेका लेने लगा और देखते ही देखते कुछ सालों में राजू से अब तो राजू साहब बन गया था 

अब राजू के पास काम की कोई कमी न थी अब राजू की पूरी एक टीम बन चुकी थी जो राजू के लिए काम करती थी अब राजू मकान बनाने का भी ठेका लेने लगा और अगले कुछ  सालों में देखते ही देखते राजू सेठ के नाम से पूरे  शहर में फेमस हो गया।

राजू हमेशा कहता था उड़ान ऊपर कितनी भी भरो लेकिन रात में नीचे आना है क्योंकि मिलने वाले नीचे रहा करते हैं उनको ही गले लगाना है।

उधर बनिया गुजर गया और बनिया के तीनों पुत्रों ने ऐश और आराम में अपना सारा धन खर्च कर दिया और धीरे-धीरे उन्होंने अपनी सारी संपत्ति भी बेच दी और अब वह बेघर हो गए और एक समय ऐसा आया कि वह खाने के लिए दर-दर भटकने लगे 

 उन तीनों पुत्रों को एक व्यक्ति ने बताया कि शहर में एक राजू सेठ नाम के धनवान व्यक्ति रहते हैं वह बहुत दयावान है और वह राधा कृष्ण मंदिर में रोज सुबह शाम भंडारा करते हैं और उन्होंने बेघरों के लिए आश्रम भी खोल रखा है आप लोग राजू सेठ के आश्रम मैं जाओ और और वहीं पर खाना खाओ

अब उस व्यक्ति की बात मानकर तीनों बनिया के पुत्र राजू सेठ के आश्रम में चले गए और वहीं पर रहने लगे और खाना खाने लगे कुछ दिनों के बाद राजू सेठ आश्रम में आए और आश्रम में प्रत्येक व्यक्ति के पास जाकर उसका हालचाल लेने लगे 

थोड़ी देर बाद उन तीनों बनिया पुत्रों की भी बारी आई और जैसे ही राजू सेठ ने अपने तीनों भाइयों को इस हालत में देखा तो वह रोने लगे। और बोले आप लोगों की यह कैसी हालत हो गई ?

तभी उन तीनों बनिया के पुत्रों ने कहा राजू हमने पिताजी के धन पर भरोसा किया और तुमने खुद पर भरोसा किया।धीरे धीरे हम आलसी होते गए और अपनी शान में हमने सारा धन खर्च कर दिया और अपनी सारी संपत्ति बेंच दी 

आज स्थिति तुम्हारे सामने हैं वह तीनों राजू से कहने लगे कि राजू हमें माफ कर दो तुम बिल्कुल सही थे कि व्यक्ति को धन पर नहीं अपने ऊपर भरोसा करना चाहिए अगर अपने ऊपर भरोसा भरोसा है तो धन तो अपने आप आ जाता है।

3 ईडियट मूवी के माध्यम से भी हमें यह सिखाया गया है कि बच्चा काबिल बनो काबिल कामयाबी तो साली झक मारकर पीछे भागेगी।




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